यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

कहते हैं बराबर तो बराबर ही समझा जाए








कहते हैं बराबर तो बराबर ही समझा जाए
औरत को औरत  सामान न समझा  जाए

बड़े  ख़जाने  अमीरों  ने  सभी  लूटे  हैं
गरीब को फ़कत  बेईमान न समझा जाए

बहुत से कसमों – वादों पर लुटी  हैं प्रेमिकाएं
फ़क़त  कसमों  को  ईमान  न समझा जाए

बहुत  कुछ  है मगर  सब  कुछ  नहीं पैसा
फ़कत  दौलत है भगवान   समझा  जाए

दोस्ती में निभाये साथ को बस दोस्ती समझें
ग़लतफ़हमी न हो, एहसान न समझा जाए

बहुत मजबूर होके भी हँसे कई बार हैं “पवन”
हर  मुस्कान  को मुस्कान  न समझा  जाए


पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com  

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