बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

कहते हैं बराबर तो बराबर ही समझा जाए








कहते हैं बराबर तो बराबर ही समझा जाए
औरत को औरत  सामान न समझा  जाए

बड़े  ख़जाने  अमीरों  ने  सभी  लूटे  हैं
गरीब को फ़कत  बेईमान न समझा जाए

बहुत से कसमों – वादों पर लुटी  हैं प्रेमिकाएं
फ़क़त  कसमों  को  ईमान  न समझा जाए

बहुत  कुछ  है मगर  सब  कुछ  नहीं पैसा
फ़कत  दौलत है भगवान   समझा  जाए

दोस्ती में निभाये साथ को बस दोस्ती समझें
ग़लतफ़हमी न हो, एहसान न समझा जाए

बहुत मजबूर होके भी हँसे कई बार हैं “पवन”
हर  मुस्कान  को मुस्कान  न समझा  जाए


पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com  

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