यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

जिन्दगी मेरी तो पूरी जिंदगानी हो गई है
































जिन्दगी  मेरी तो पूरी  जिंदगानी  हो गई है
प्यार मुझको क्या हुआ कहानी पूरी हो गई है

आया दर्दो-सुखन आवाम की जो शायरी में
तब  लगा  यूँ  ग़ज़ल  बालिग़ हो गयी है

तेरे लहजे में मखमल बोलता है
तुझे  उर्दू  की संगत हो गयी है

इस तरह आदाब मैनें प्यार का देखा नहीं
शायरी  ऐसी  कि मतला हो गयी है

इस कदर  छलका है अपना प्यार पूरे दौर में
ऐसा लगता है जिन्दगी ही जवानी हो गयी है

चिट्ठी कहके प्यार की तौहीन न कर
प्यार  से  लिखी  रुबाई हो  गई है


कुछ बताते , कुछ हैं करते, होते भी कुछ और हैं
ऐसे लोगों से बिना मतलब की नफरत हो गई हैं

मुझे  तुमसे न कोई  मस्लहत थी
मगर तुम कहते हो तो, हो गयी है

लोग कहते हैं जमाने से कि अक्खड़ है
हो गया  हूँ  छवि ही ऐसी हो  गयी है

जो  नहीं  थे  हो  गए  हैं क्या करें
लोगों की फितरत ही ऐसी हो गयी है

मैं दीवाना ही नहीं ,मरती तो मुझपे वो भी है
सच यही है आग की लपटें सयानी हो गयी हैं

था अँधेरा , प्यार आया , रौशनाई  हो गयी है
कौन कहता है कि मेरी जग हंसायी हो गयी है  



पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com


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