यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 27 दिसंबर 2017

मैं तेरी दीवानी , तूं मेरी कहानी - गीत











मैं     तेरी     दीवानी , तूं    मेरी    कहानी
अपनी प्रेम की धारा में दरिया सी रवानी
अपनी  नयी  पहचान , रंगीनी  नयी - नयी
प्यार   दाख़िल  ये   जवानी   नयी  -  नयी

बातें  ख़त्म  होती  नहीं , दिन   ढल  जाता  है
जिससे  कोई  लेना  नहीं वो भी  जल  जाता है
बात-बात पर नोक-झोक फिर मान-मनौव्वल है
नया - नया रोमांस हुआ है , सब चल जाता है

जाने कितना  आगे  दुनिया बढ़ के चढ़ गयी है
हमरे देश में प्यार  की  पहिया नीचे  रह गई है
इतने हुए आधुनिक  फिर भी छुप-छुप प्यार करें
कुछ भी कहो मज़ा है इसमें दिल में धँस गयी है

गुप-चुप,छुप-छुप प्यार करना एक अदा तो है
पर  पकड़े  जाने  पर  जाना  बड़ी  सज़ा  तो है
प्यार ही कैसा जिसमें कोई लफड़ा-वफ्ड़ा ना हो
छप्पन  छूरी  चले  जिगर  प्यार  मजा  तो  है



पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com      

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