यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 1 अक्टूबर 2017

हो परेशान मन हाथ भी तंग हो

































हो परेशान मन हाथ भी तंग हो

ऐसे में क्रोध घर को जला देता है

क्या गलत क्या सही मायने कुछ नहीं
क्रोध अपनों को भी झुलसा देता है

लाख विश्वास हो और समर्पण भी हो
तंगहाली में सब कुछ दगा देता है

प्रेम,पत्नी,गृहस्ती के सब आवरण
तंगहाली का शस्त्र हटा देता है

वक़्त हो गर बुरा ज़ेब भी हल्की हो
रिश्तों की परिभाषा ढहा देता है

सारे विश्वासों का वक़्त है आइना
अडिग विश्वासों को भी डिगा देता है

आइना तो कभी झूठ बोले नहीं
टूट कर भी पवनसच बता देता है  

पवन तिवारी
सम्पर्क – ७७१८०८०९७८


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