यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 2 अक्टूबर 2017

प्रात आया सुबह तो महक सी गयी - हिन्दी ग़ज़ल



















प्रात आया सुबह तो महक सी गयी

चिड़ियों के कलरव से चहक सी गयी

 धूप पाकर  प्रकृति मुस्कराने लगी
प्रात आया धरा तो लहक सी गयी

भोर के शोर से उल्लसित  मन हुआ
इक नयी आस जीवन में जग सी गयी

 एक नव वेग से जग चल है पड़ा
देखकर ये निशा  सहम सी गयी

सुमन हैं खिल गये गान भ्रमरों का है
दृश्य यूं देख धूप बहक सी गयी

 जो दिवाकर की पहली किरण आ पड़ी
ये धरा नव वधू बनके  सज सी गयी

देखा जो सूर्य को खिलखिलाते हुए 
थी निराशा जो मन में वो मर सी गयी

नव ऊर्जा जगी इस नये वार पर
नकारात्मकता सूखे विटप सी गयी

पवन तिवारी

सम्पर्क- ७७१८०८०९७८
Poetpawan50@gmail.com

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