यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 27 जून 2017

मरे हुए लोग हैं वो, आप कहते जिंदा हैं

हैं तो करोड़ों मगर कितने लोग जिंदा हैं.

ज़िन्दगी जिंदादिली में चाँद लोग ज़िंदा हैं


जुर्म होता देख जो कल चादरों को तान लिए
मरे हुए लोग हैं वो, आप कहते जिंदा हैं


 कुछ गये,कुछ लुटे, कुछ मरे कुछ लापता
जो थोड़े से बचे हैं मुआवज़े तक ज़िंदा हैं


 कल गया तहसील में हैरान बाबू ने कहा
आप तो कब के मर चुके हैं आप कैसे ज़िंदा हैं


 क्या कहूं क़ानून और रिश्वत में कितनी यारियां
सरकारी कागजों में कत्ल लोग सच में ज़िंदा हैं


 ज़िल्लत, जी हुजूरी, बेबसी, रहमोकरम
इस तरह जीना है तो करोड़ों लोग ज़िंदा हैं


 जब से मेरे बारे में अफवाह का पर्दाफाश हुआ
हृदयाघात हुआ है उनको हम अभी भी ज़िंदा हैं


 कौन कहता है कि मर गये है ‘पवन’

उनकी रचनाएं तो अभी ज़िंदा हैं  


पवन तिवारी

सम्पर्क – 7718080978


poetpawan50@gmail.com


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