यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 8 मार्च 2017

इतनी मगरूर न बन,नजर उठा देख तो सही














जिन्दगी मुझसे मिलने के लिए आ तो सही
दोस्त बन के न सही मेहमाँ ही बन के आ तो सही

गरीब हूँ तो क्या हुआ हूँ तो आदमी ही सही
मेरी चौखट पे कभी अपने पाँव रख तो सही

मुझसे मिल मुझमे अभी बाकी बहुत सा जीवन
मुझको आजमा एक मौका मगर दे तो सही

मुझसे मिलकर तो देख, तूँ भी खुस होगी बहुत
आगे बढ़ हिम्मत कर,एक बार मिल तो सही

तेरा हमराज न सही तेरा खादिम ही सही

इतनी मगरूर न बन,नजर उठा देख तो सही 
poetpawan50@gmail.com 
सम्पर्क - 7718080978

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