यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

तुम पर जवानी फिसली प्यार वज़ह थी
















प्यार हुआ था तुमसे जवानी वज़ह थी 
तुम पर जवानी फिसली प्यार वज़ह थी 
संग - संग चले हम-तुम इकरार वज़ह थी  
खुशहाल जिए हम दोनों विश्वास वज़ह थी 


तुम थीं तो मुस्काने  की अनेक वज़ह थी 
तुम थीं तो जीने की भी अनेक वज़ह थीं 
तुम गई तो सारी वजहें भी चली गईं
घर को आग लगाने की बस एक वज़ह थी 

poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क -7718080978


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