सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

तुम पर जवानी फिसली प्यार वज़ह थी
















प्यार हुआ था तुमसे जवानी वज़ह थी 
तुम पर जवानी फिसली प्यार वज़ह थी 
संग - संग चले हम-तुम इकरार वज़ह थी  
खुशहाल जिए हम दोनों विश्वास वज़ह थी 


तुम थीं तो मुस्काने  की अनेक वज़ह थी 
तुम थीं तो जीने की भी अनेक वज़ह थीं 
तुम गई तो सारी वजहें भी चली गईं
घर को आग लगाने की बस एक वज़ह थी 

poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क -7718080978


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें