मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

बस इतनी है ख्वाहिश तेरे,दामन में निकले दम































तुम जो चलो साथ,सुहाना सफर ये हो 
चलते रहें कदम-ब–कदम, कम सफ़र न हो 

तुम जो मिले तो मेरे,दिल में कमल खिले
चलते रहे यूँ प्यार के , अपने सिलसिले

मैनें जो आरज़ू , की थी खुदा से
मेरी वो आरज़ू सनम,तुम हो कसम से

संग-संग तुम्हारे चलना, किसी तीर्थ से न कम
मंजिल कभी न आये खुदा,चलते रहें हम

मर भी जाएँ हम अगर,होगा न कोई गम
बस इतनी है ख्वाहिश तेरे,दामन में निकले दम

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