यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 5 फ़रवरी 2017

जग को मुझ पर भरोसा नहीं

जग को मुझ पर भरोसा नहीं
और मैं चाहता भी नहीं 

मुझको खुद पर यकी हैं मगर 
जग को खुद पर भरोसा नहीं 

जग पे कैसे भरोसा करें हम सभी 
अपने खूं पे ही खुद को भरोसा नहीं 

छोड़ो सबका भरोसा तुम आगे बढ़ो 
खुद पे विश्वास तो कुछ भी मुश्किल नहीं 

और भी जिन्दगी में कई काम हैं 
एक रुकने से जग सारा रुकता नहीं 

तुम बढ़ो बस बढ़ो आगे बढ़ते रहो
फिर फलक और बुलंदी भी कुछ नहीं  

poetpawan50@gmail.com

सम्पर्क -7718080978

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