कुछ बिछड़े तो कुछ नए मिले
कोई लूट गया कोई लुट गया
कुछ ने दी प्यारी यादें तो
कुछ ज़ख्म सौंप कर चले गये
कुछ इतिहास हो गये तो
कुछ ने नूतन इतिहास रचे
कुछ खुद सीखा,कुछ सिखा गया
कुछ नए रंग वो दिखा गया
ये साल भी आकर चला गया
कुछ हाथ दिए,कुछ छुड़ा लिए
कुछ दुत्कारे,कुछ स्नेह दिए
कुछ गिरा दिए,कुछ उठा दिए
पर कुछ भी हो सब सिखा गये
खट्टे-मीठे, कड़वे-तीखे
अनुभव ही सही दिए सबने
इनका,उनका,उनका,सबका
जिससे ज्यादा,कम जो भी मिला
सबका कृतज्ञ,सबका वन्दन
कुछ लिया नहीं,देकर ही गया
ये साल भी आकर चला गया
poetpawan50@gmail.com सम्पर्क- 7718080978
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