यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 28 दिसंबर 2016

जिस दर पर तुम्हारा न सम्मान हो.

                     ग़ज़ल


जिस दर पर तुम्हारा  न सम्मान हो.
उस दर पर कभी जाना ना चाहिए. 


रुखा-सूखा मिले यदि जो सम्मान से.
ऐसे भोजन को ठुकराना ना चाहिए. 


कोई विश्वास तुम पर निछावर करे.
उसको धोका कभी देना ना चाहिए. 


जिसने जग को भुलाकर है चाहा तुम्हें.
ऐसी चाहत को ठुकराना ना चाहिए. 


जिन्दगी में उड़ानें उडो तुम बहुत.
पर ज़मीं को भुलाना 
ना चाहिए.


प्यार जितना मिले,चाहे जिसका मिले.
प्यार माँ का भुलाना 
ना चाहिए . 


poetpawan50@gmail.com
सम्पर्क- 7718080978

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