यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 9 अक्तूबर 2016

आशीष दो हनुमान !!


























अंजनीनंदन, हे जगवंदन.
लंका दाहक, हे रिपुमर्द्न.
अज़र – अमर गुणखान.
आशीष दो हनुमान !!


दिनकर शिष्य,हे रघुपति अर्चक.
अरुणपराग वपु, रक्तिम मस्तक.
सुलभ सहज बलधाम
आशीष दो हनुमान !!


मारुतसुत, हे लंकिनी हंता.
कोमलचित कृपालु भगवंता.
तप्त अकिंचन के भगवान्.
आशीष दो हनुमान !!

poetpawan50@gmail.com


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