रविवार, 9 अक्टूबर 2016

आशीष दो हनुमान !!


























अंजनीनंदन, हे जगवंदन.
लंका दाहक, हे रिपुमर्द्न.
अज़र – अमर गुणखान.
आशीष दो हनुमान !!


दिनकर शिष्य,हे रघुपति अर्चक.
अरुणपराग वपु, रक्तिम मस्तक.
सुलभ सहज बलधाम
आशीष दो हनुमान !!


मारुतसुत, हे लंकिनी हंता.
कोमलचित कृपालु भगवंता.
तप्त अकिंचन के भगवान्.
आशीष दो हनुमान !!

poetpawan50@gmail.com


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