यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024

दुनिया में बहुत कुछ भारी है



दुनिया में

बहुत कुछ भारी है,

किंतु, जब दिन कट जाता है

रात भी कट जाती है;

और कटती है उम्र

पर नहीं कटती जिंदगी!

सब कुछ चलते हुए

ठहरा लगता है,

बस ! वो भाव,

सबसे भारी होता है!

 

पवन तिवारी

०८/१०/२०२४

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें