यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 28 जुलाई 2022

पीड़ा में भी हँसते

पीड़ा में  भी  हँसते – हँसते जब कोई गीत सुनायेगा

बार - बार आँधी  में  भी  जब  कोई दीप जलायेगा

जब कोमल अन्तस् रोयेगा जब कविता सम्बल होगी

तब - तब मेरा  नाम उठेगा  तब  मेरी  चर्चा  होगी

 

जब कोई अपमानित होकर सम्मानों का शिखर छुयेगा

भय के बिना उच्च स्वर में जब कोई अदना सत्य कहेगा

कोई  कवि उसको  गायेगा  उसकी जय जय जय होगी

तब – तब  मेरा  नाम  उठेगा   तब   मेरी  चर्चा  होगी

 

शब्दों के साधक का जब भी उर अपमानित होगा

घर में ही उपहासित होगा ताना नित नित होगा

नयन  भरेंगे  ढुलकेंगे  औ शब्दों  को  पीड़ा होगी

तब – तब  मेरा नाम उठेगा तब मेरी चर्चा होगी

 

थका हुआ जब कोई योद्धा,साहस से विजयी होगा

जिसके  नामों से सम्मानित भी सम्मान कई होगा

जिसके गीत सुनेंगे सारे जिसके नाम कहानी होगी

तब - तब मेरा नाम  उठेगा तब  मेरी  चर्चा होगी

पवन तिवारी

३०/०४/२०२२

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