यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 26 फ़रवरी 2022

रोना

रोना सबसे पवित्र कला है

रोना शहनाई जैसा है

जिसमें अनेक स्वर हैं

सुख में रोना

प्रेम में रोना

करुणा में रोना

स्मृति में रोना

भय में तथा

क्रोध में रोना

और आत्मीयता में

और रोना किसी के सम्मान में

किसी के कंधे पर टिकाकर

किसी के गले या

भुजा में समर्पित होकर रोना

मनुष्यता और प्रकृति की

संवेदनात्मकता की अप्रतिम

आभामयी रचना है

रोने का सम्मान करना सदा !

०९/०८/२०२१

 

 

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