यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 17 फ़रवरी 2022

उसको रोते हुए देखा तो

उसको रोते हुए देखा तो रुलाई आयी

देख रोते हुए  मुझको उसे हँसी आयी

 

मुझको खुश देख करके वो बहुत ही रोई थी

पड़ी नज़रें मेरे ज़ख्मों पे तो फिर कमी आयी

 

सुन के बरबादी  मेरी  जश्न  मनाया उसने

शुक्र है मौत पर  मेरे  वो सुन  चली आयी

 

एक दिन दूर कहीं जल्दी मुझे जाना था

पैर ठहरे भूल वश जो तेरी गली आयी

 

पवन तिवारी

२५/०१/२०२१

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