यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 13 फ़रवरी 2022

क्या तुम्हें पता है !

क्या तुम्हें पता है !

लोग कहते हैं, मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ

किन्तु, मैं तुम्हें बस अपने पास चाहता हूँ

तुम्हें देखना चाहता हूँ भरपूर

तुम्हारी हर भंगिमा को पहचानना चाहता हूँ

सबसे पहचान बनाना चाहता हूँ

तुम्हें हँसते हुए देखना चाहता हूँ

तुम्हारी गंध को महसूस करना चाहता हूँ

तुम्हारी चाल को निहारना चाहता हूँ

ताकि तुम्हें दूर से ही कभी भी पहचान सकूँ

तुम्हारी आँखों से बतियाना चाहता हूँ 

ताकि अधरों के चुप रहने पर भी बतिया सकूँ तुमसे !

 

  सोचा हूँ, तुम आओगी तो प्यार करूँगा

तुम्हें पास से निहारना क्या प्यार करना नहीं है !

कुछ लोग कहते हैं, तुम नहीं आओगी ?

क्योंकि वे तुम्हें प्यार नहीं करती ?

किन्तु मैं जानता हूँ, तुम आओगी

मैं प्रतीक्षा करूँगा, तब तक

जब तक कि तुम नहीं आ जाती.

प्रेम में प्रतीक्षा ही सच्ची तपस्या है

जितनी कठोर तपस्या, उतना बड़ा वरदान !

तुमसे मिलना किसी वरदान से कम नहीं ,

और तुम्हें प्यार करना सबसे बड़ा वरदान

 

  लोग कुछ भी कहें पर तुम जरुर आना

तुम आओगी तो मुझे अपनी राह में

प्रतीक्षा करते हुए पाओगी

क्या तुम अपने आराधक से

नहीं मिलना चाहोगी ?

मेरा हृदय कहता है, तुम जरुर आओगी!

कभी न लौटने के लिए !

 

पवन तिवारी

०८/०१/२०२१

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