यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 10 फ़रवरी 2022

रफ्तार - ए - इश्क

 रफ्तार - ए - इश्क लगातार नहीं होते हैं

ये भी सच प्यार कि अख़बार नहीं होते हैं

 

आँख का साफ़ दिखा साफ़ झूठ हो सकता

पगड़ी  वाले  सभी  सरदार नहीं  होते हैं

 

वफा के इश्क में ख़तरे बहुत ही कम होते

धोखे मिलते जो  ख़बरदार  नहीं होते हैं

 

वो मुझे छोड़ कर मेरे ही जैसा फिर ढूंढे

एक ही  आदमी  कई  बार नहीं होते हैं

 

लुटा के इज्जत भी  क़दमों में पड़े रहते हैं

कुछ वफादार  जो   ख़ुद्दार  नहीं होते हैं

 

दास तुलसी व कालीदास सबको याद अभी

प्यार  के  झटके भी  बेकार  नहीं  होते  हैं

 

पवन अपनों में तो थोड़ा झुकना पड़ता है

कौन  से  रिश्ते  में  तकरार  नहीं  होते हैं  

 

पवन तिवारी  

 

०६/०१/२०२१

 

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