यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 5 अगस्त 2021

जो हँसाता है

जो हँसाता है रुलाता वो ही

हो जिसे याद भुलाता वो ही

बैठता  दर्द  प्रेम  के  बाजू

प्रेम जाता तो सताता वो ही

 

जो गिरा भी हो  उठाता  वो ही

तुमको समझे जो लुभाता वो ही

तुम जिसे व्यर्थ का समझते रहे

वक्त पर साथ  निभाता  वो ही

 

जो सके  मार  जिलाता वो ही

भटके को राह  दिखाता वो  ही

जिसने दर-दर से पाई ठोकर है

बात अनुभव की बताता वो ही

 

जिसको आये है नचाता वो ही

जो करे सब है विधाता वो ही

हम हैं मगरूर खिलौने केवल

वो ही मेटे भी लिखाता वो ही

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

२३/०८/२०२०   

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