यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 27 जुलाई 2021

एक दिन आयेगा

एक दिन आयेगा फिर से मैं रोऊँगा

आँसुओं को मगर हँस के मैं धोऊंगा

आज गा ना सका गला रुँधने को है

एक दिन बिन कहे हँस के मैं गाऊँगा

 

दुःख तो खुद आया है खुशियाँ मैं लाऊँगा

लेके प्रतिभा को सुख के मैं घर जाऊँगा

देखते ही मुझे सुख भी खिल जाएगा

हर्ष को साथ में लेकर के मैं आऊँगा

 

कहने वाले कहें निज पे विश्वास है

ध्यान से देखिये सब मेरे पास है

धैर्य है, धर्म है, और दृढ़ता भी है

मुझको जग से नहीं स्व से ही आस है

 

आज जिनका है ले लें मगर कल मेरा

आज खट-पट है तो वक्त ने है घेरा

ये तो जीवन है होता रहा है सदा

कल मेरा होगा मेरा लगेगा डेरा

 

सारे दुःख, सारे संत्रास मंजूर हैं

सारे खुशियों के लक्षण बहुत दूर हैं

मगर देखा है बादल को घिरते हुए

ऐसे देखोगे तो पास में नूर है

 

हूँ बहुत खुश भी पीड़ा के घेरे में मैं

रोशनी आयेगी हूँ अँधेरे में मैं

भोर के पास हूँ इसका आभास हूँ

जग से जल्दी मिलूँगा सवेरे में मैं

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

१२/०८/२०२० 

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