यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 28 जुलाई 2021

आदमी से सम्वाद करना विशेष नहीं है

आदमी से सम्वाद करना विशेष नहीं है

मनुष्य बनने के लिए!

आदमी से सम्वाद करने से

श्रेष्ठ विकल्प है, उनसे सम्वाद करना-

जिनका सम्वाद मौन या

संकेत में होता है.

आदमी से अधिक सम्वाद

नदियों, वृक्षों, पक्षियों, पशुओं,

पैरों तले दबाने वाली दूब,

सर के ऊपर लेटी छप्पर या छत

पास में सीधी खड़ी दीवारों,

उठते बैठते चरमराती चारपाई,

कराहती,सिसकती ध्वनियों,

उड़ती तितलियों और

पिंजरे में बंद लोगों की

सम्वेदनाओं से सम्वाद आवश्यक है!

और हाँ, कभी मेड़, कीचड़

भिनभिनाती मक्खियों, कच्ची पगडण्डियों

उड़ती धूलों और

हेय दृष्टि से फेंक दिए गये कचरे एवं

घूर पर पड़े गोबर से भी सम्वाद करना !

साथ ही मिलना घूर पर उग आये

चाँद की तरह अमोले सहित

सितारे की तरह टिमटिमाते, प्यारे

दूसरे अनेक वनस्पतियों और

अनजाने पौधों से!

जो स्वयं की जिजीविषा और

प्रयास मात्र से घूर के ऊपर

अपना अस्तित्व निर्माण कर सके .

बिना की सहायता के!

उनसे कर सको तो, करना सम्वाद !

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

१४/०८/२०२०

 

 

  

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