यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 13 जून 2021

अंदर ही अंदर उर डोले

अंदर ही अंदर उर डोले

कोई उसकी सांकल खोले

सब के बस का ये भी नहीं है

उर उर की भाषा में बोले

 

प्रेम जाल हैं बड़े अनूठे

सुंदर बदन पे ही सब टूटे

मन की राह में बदन की माया

सो मन से सब रहे अछूते

 

प्रेम को पाना प्रभु को पाना

बड़ा कठिन है मन तक जाना

देह राह में है भटकाती

उसके आगे प्रेम घराना

 

हिय जब हिय से है मिल जाता

सब पावन पावन हो जाता

तब जाकर आनन्द मिले है

नन्द कहीं पीछे रह जाता

 

पवन तिवारी

०४/०७/२०२०

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