यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

याद आयेंगे बहुत आयेंगे


याद  आयेंगे   बहुत   आयेंगे
जब भी आयेंगे दिल  जलायेंगे
वैसे मैं हार  करके  जीती  थी
अब तो बस वो ही जीत जायेंगे

दिन  पुराने   बड़े  हसीन  रहे
उन दिनों को भुला क्या पायेंगे
उनमें शामिल थे मेरे भी हिस्से
मेरे  हिस्से  को  छोड़  पायेंगे

कि हर चर्चा में दोनों का हिस्सा
एक किस्से में दोनों का किस्सा
दोनों मिल एक रहे थे जब तक
एक  बीघे के  दोनों  थे बिस्सा

एक जिद ने ही तोड़ा रिश्ता था
उससे पहले ये इक गुलिस्ता था
कौन झुकता है  यही बात अड़ी
उससे पहले तो सब फ़रिश्ता था

बीते दिन   लौट नहीं   आयेंगे
उन दिनों के ख़याल    आयेंगे
दिल अभी भी है यही मान रहा
देर से ही   सही   वो  आयेंगे



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८    


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