यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 28 अक्तूबर 2019

नये मुक्तक प्यार के





प्यार उसका भी बौखलाया हुआ
प्यार जो पहली बार पाया हुआ
दिल की दुनिया अमीर ऐसे हुई
गैर भी प्यार करने आया हुआ

साथ तेरा जो मिल गया होता
मैं भी थोड़ा निखर गया होता
हम सफर मेरी गर बनी होती
मैं क्या जीवन संवर गया होता

तू जो मिलती तो मैं न ये होता
तेरी  बाँहों  में  सो  रहा होता
तेरा धोखा ही मेरी दौलत अब
इतना मशहूर मैं न कवि होता

प्यार से भूख मन की मिटती है
गेहूं से तन की भूख मिटती है
दोनों की अपनी हैसियत है मगर
अर्थ बिन जिन्दगी ही मिटती है  

तेरे अधरों की बात हो जाऊँ
तेरे धड़कन के पास हो जाऊँ
प्यार इतना लुटाऊं तुझपे कि
तेरे जीवन की आस हो जाऊँ

तू जो आयी तो हर खुशी आयी
ऐसा लगता कि हमनशीं आयी
जितने गम थे कि गल गये ही सभी
सूखे  होठों  पे भी हँसी आयी



जाते – जाते  हुए  मुस्कराते  रहे
दिल से दिल की वो घंटी बजाते रहे
अधरों से बात कोई हुई ना मगर
आखों आखों ही दिल में समाते रहे

दिल की गलियों में वे आते जाते रहे
कभी  हंसते  कभी  तो  रुलाते रहे
उनकी हर इक अदा कातिलाना रही
सब के द्वारे ही वे प्यार  पाते रहे 


पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत


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