यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 12 अक्टूबर 2019

वक्त आयेगा मगर


वक्त आयेगा मगर आप भी आते रहिये
कभी - कभी ही सही हाथ मिलाते रहिये

कौन जाने कि कौन किसके काम आ जाये
गरीब  जो  दे  चना प्यार से खाते रहिये

अमीरों  के  लिए  हर एक कला है हाज़िर
आप मजलूमों के दुःख दर्द को गाते रहिये

अच्छा लगने में कभी अच्छा वक्त लगता है
मज़ा आयेगा  मगर खुद को भी भाते रहिये

इश्क की गर्मी से वो भी तो निखर जायेंगे
प्यार  के  जैकेट को  यूं ही सिलाते रहिये

प्यार का मोजजा सचमुच जो देखना है अगर
दुश्मनों  को भी ज़रा  इश्क  चखाते  रहिये



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

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