यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 13 अक्टूबर 2019

तुम्हें गर इश्क...


तुम्हें गर  इश्क मेरा चाहिए तो
हमें भी दिल तुम्हारा चाहिए तो

वो दिल लेकर खड़ी हो जाए रस्ते
मगर  कोई  दीवाना  चाहिए तो

बड़ी पागल उमर कच्ची कहूँ क्या
उसे दिल का ख़सारा  चाहिए तो

कि माझी की सदा सुननी पड़ेगी

जिन्दगी का किनारा चाहिए  तो 


वो कब से ताक में बैठी है दिल के
उसे  इक  ही  इशारा  चाहिए तो

पवन कैसी पवन चलने लगी अब
कहो हाँ – हाँ सहारा  चाहिए  तो



पवन तिवारी
संवाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक – पवनतिवारी@डाटामेल.भारत 


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