यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 24 अगस्त 2019

तेरे दिल में


तेरे दिल में मैं आना चाहता हूँ

कि आकर घर बनाना चाहता हूँ


बहक जायेगी सुन के बात मेरी
तेरे  नखरे  उठाना  चाहता हूँ

तेरा गर साथ मिल जाए अदा से
इश्क खुद को सिखाना चाहता हूँ

तेरे जैसी नहीं बस तू  मिले गर
मोहब्बत से  निभाना  चाहता हूँ

मेरी राहों में हैं कमसिन बहुत पर
तेरा   होना  दिवाना   चाहता हूँ

हवस होती तो तुझपे क्या था मरना
कि मन का  प्यार  पाना चाहता हूँ

कि मैं भी प्यार के काबिल पवन हूँ
फ़क़त ख़ुद को  दिखाना  चाहता हूँ



पवन तिवारी
सम्वाद – ७७१८०८०९७८
अणु डाक -  पवनतिवारी@डाटामेल.भारत

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