यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 14 नवंबर 2018

कुछ दर्द लिए जीते हैं


कुछ दर्द लिए जीते हैं

कुछ मर्ज लिए जीते हैं

आए हैं जग में तो

यह सोच लिए जीते हैं



कुछ ख्वाब लिए जीते हैं

कुछ आस लिए जीते हैं

कुछ लक्ष्य लिए उर में

अवसर के लिए जीते हैं



कुछ याद लिए जीते हैं

कुछ बात लिए जीते हैं

सबकी अपनी वजहें

कुछ खुद के लिए जीते हैं



कुछ नाम लिए जीते हैं

कुछ प्रेम लिए जीते हैं

उनके जीने को नमन करूं

जो देश लिए जीते हैं



पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

अणु डाक – poetpawan50@gmail.com

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