यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 14 अप्रैल 2018

ये जवानी वाली नयी हवा क्या चलने लगी .



ये जवानी  वाली  नयी  हवा  क्या  चलने  लगी .
प्यार क्या जागा कि दिल में आग सी लगने लगी .

 जब से तेरे आने की ख़बर घर में फैली है .
तब से ये सीलन भरी दीवार महकने लगी .

इक दिन तुम्हारी याद में गाया जो मैनें गीत तो.
देखकर ये काँच  की भी खिड़कियाँ  हँसने  लगी.

चाँदनी  जो चाँद की ख़ातिर  सदा  लुटती रही .
तुमको क्या देखा कि कल बेसाख्ता  झरने लगी .

यार  पत्नी  प्यार  या देवी कहूँ कि क्या कहूँ .
जब से आयी हो मेरी तो अहमियत बढ़ने लगी .

 ख्व़ाब में भी जो बिछड़ने का नज़ारा  देखा तो .
ये लगा कि धड़कनों संग साँस भी थमने लगी .

सोंचता हूँ पलकों में तुमको छुपाकर रख लूँ मैं .
आज – कल सुनता फूलों को नज़र लगने लगी .

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com

  


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