शनिवार, 14 अप्रैल 2018

ये जवानी वाली नयी हवा क्या चलने लगी .



ये जवानी  वाली  नयी  हवा  क्या  चलने  लगी .
प्यार क्या जागा कि दिल में आग सी लगने लगी .

 जब से तेरे आने की ख़बर घर में फैली है .
तब से ये सीलन भरी दीवार महकने लगी .

इक दिन तुम्हारी याद में गाया जो मैनें गीत तो.
देखकर ये काँच  की भी खिड़कियाँ  हँसने  लगी.

चाँदनी  जो चाँद की ख़ातिर  सदा  लुटती रही .
तुमको क्या देखा कि कल बेसाख्ता  झरने लगी .

यार  पत्नी  प्यार  या देवी कहूँ कि क्या कहूँ .
जब से आयी हो मेरी तो अहमियत बढ़ने लगी .

 ख्व़ाब में भी जो बिछड़ने का नज़ारा  देखा तो .
ये लगा कि धड़कनों संग साँस भी थमने लगी .

सोंचता हूँ पलकों में तुमको छुपाकर रख लूँ मैं .
आज – कल सुनता फूलों को नज़र लगने लगी .

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
poetpawan50@gmail.com

  


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