मंगलवार, 10 अप्रैल 2018

प्रेम के हम दिया और बाती हैं











साथ पल–पल जियें हम साथी हैं
प्रेम  के हम दिया और बाती हैं

उम्र ढल जाए देह जर्जर भी हो
प्रेम  होते कभी भी ना बासी हैं

सुख में तो गैर भी साथ हो जाते हैं
दुःख में जो साथ दें, वो ही साथी हैं

जब ढलें साथ दें दोस्त सच्चे वे हैं
यूँ  जवानी  तो  आती – जाती हैं

खून अपना ही जब दिल दुखाता है
अपनी चिंताएं तब खुद को खाती हैं

दुश्मनों के तो ताने सुने मौज में
दिलरुबा की मगर दिल दुखाती हैं

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
ईमेल -poetpawan50@gmail.com

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