यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 25 जुलाई 2017

तेरे हुस्न को गुलाब समझनें लगे हैं


तेरे हुस्न को गुलाब समझनें लगे हैं
सनम अब तो वो तुम पे मरने लगे हैं
तुमसे मिलने के जतन करने लगे हैं
सनम आज-कल वो भी सँवरने लगे हैं

तेरे इश्क का ऐसा जादू चढ़ा है
सनम प्यार के गीत गाने लगे हैं
तुम मिलोगी या ना रब जानता है
तुम्हें पाने की चाहत करनें लगे हैं

ना मिली तो उनका हाल क्या होगा
बड़ी बे मुरव्वत तुमपे मरने लगे हैं
तुम्हीं चाँदनी हो, तुम्ही उर्वशी हो
तुम्हारी इबादत ही करने लगे हैं  


पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
Poetpawan50@gmail.com


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