यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 27 जुलाई 2017

दोस्त जिनको तुम अब तक समझते रहे






























दोस्त जिनको तुम अब तक समझते रहे 
दुश्मनी आड़ में वे ही करते रहे
जिनको समझा था तुमने प्रशंसक हैं वे
मुखर आलोचना वे तो करते रहे

जिनकी खातिर किये कोशिशें थे बहुत
जिनकी खातिर लड़े थे तुम अपनों से भी
जिनपे तुमको भरोसा हुआ था बहुत
जब वो टूटा तो आँसू गिरे भी बहुत

जैसा हम चाहते वैसा होता नहीं
जैसा हम सोंचते वो भी होता नहीं
अपनी सोंचो के विपरीत भी सोंच है 
मानते इसको तो दुःख होता नहीं

 जो भी होगा उसे भोग लेंगे सहज
कर्म के पथ पर बढ़ते रहेंगे सहज
फिर तो आनन्द आएगा स्व ही सहज
वरना दृग में भी आयेंगे आँसू सहज

पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978
Poetpawan50@gmail.com




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