यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

मंगलवार, 25 जुलाई 2017

जुल्फों को झटको जो सनम काली घटा घिर आये







































जुल्फों को झटको जो सनम काली घटा घिर आये
जो भी तुमको देखे सनम उसका दिल तुम पर आये
इक-इक अदा है जानलेवा किस-किस अदा का नाम लें
नहा के जब आती हो सनम तो लगे के ज्यों सावन आये


आज-कल तो रात में तारे भी नहीं निकलते हैं
चाँद भी अब सोंच में है आये या कि ना आये
रात भी खुश है अब नई चाँदनी पाकर
जुगनूँ भी अब चाहें रानी नई आये


सारे नज़ारे बदले हैं ऐसा तुम्हारा ज़लवा है
क्या फर्क तुमको है अब हम आयें या ना आयें
जिसके चाहने वालों में जुगनूँ भी शामिल हैं
उसके हुस्न,जवानी पे कैसे सनम ना दिल आये
  
पवन तिवारी
सम्पर्क – 7718080978

poetpawan50@gmail.com

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