यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 19 जुलाई 2017

माँ शारदे ,वागीश्वरी,वाणी मृदुल कर दे




माँ शारदे ,वागीश्वरी,वाणी मृदुल कर दे 

आवेश में भी,प्रेम से मैं , कह सकूँ वर दे 

माँ भारती, वाचा, इला,सद्मार्ग पर कर दे
हो धैर्य, आये नम्रता, सच कह सकूं वर दे  

माँ विमला,भाषा,विधात्री उर का तमस हर ले 
रहूँ धर्म पथ पर मैं अडिग , संकल्प का वर दे 

माँ ब्राम्ही,वीणाधारिणी मन राष्ट्र से भर दे 
राष्ट्र के खातिर निछावर , हो सकूँ , वर दे 

और कुछ इच्छा नहीं ,बस इतना सा कर दे 
तुझसे विमुख ना हो सकूँ, ये आख़िरी वर दे .

पवन तिवारी 

सम्पर्क -7718080978

poetpawan50@gmail.com

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