यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

बिनु हरि भजे न मैल मिटेगा














































बिनु हरि भजे न मैल मिटेगा
बिनु गुरु ज्ञान न तमस मिटेगा

जो मन भाव रहे सोई पाए
छल कीन्हे विश्वास मिटेगा  

हरि को हरि का सौंप रहेगा
सुख आयेगा दुःख ही मिटेगा

खुद को समर्पित करे जो हरि में
उसका नाम न जग से मिटेगा

बिनु कछु लोभ करे जो कर्मा
मिल माटी पर यश न मिलेगा

हरि शरणम् जो जाए ‘पवन’
वो प्रहलाद सा नहीं मिटेगा

पवन तिवारी

सम्पर्क -7718080978

poetpawan50@gmail.com

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