यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

गुरुवार, 13 जुलाई 2017

आइये-आइये, बस चले आइये




आइये-आइये, बस चले आइये

आप आयेंगे संग, सारा जग आयेगा
स्वर बिखेरेंगे जब,प्रेम के राग का
प्रेममय सारा अंचल, ये हो जाएगा

स्वर के इस धाम में, दिल के इस ग्राम में
शारदा आयेंगी तो, नहीं होगा क्या
सारे परिवेश में, श्लोक ही गूंजेगा
इसका कण-कण भी, देवत्व पा जाएगा

शारदा पुत्र से, इक सदाचारी से
मिलके सबका ह्रदय, हुलसिता जाएगा
ज्ञान संगीत का, आगमन जो हुआ
फिर तो सब पावन-पावन, ही हो जाएगा  

पवन तिवारी
सम्पर्क -7718080978

poetpawan50@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें