यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

जिन्दगी तूं ही बता तेरी असलियत क्या है




















जिन्दगी पर बहुत कुछ लोग बोल जाते हैं
जिन्दगी जादू है कुछ लोग लिखे जाते हैं

जिन्दगी तुझको मुसल्सल पाने की चाहत में
 तमाम उम्र यूँ ही  गुज़ारे जाते हैं

तूं न मिलती है मुसल्सल कभी भी
लोग प्यासे ही चले जाते हैं 


जग में आते ही तेरी लत में कैद होते हैं
उम्र भर कैद में मर जाते हैं 


कोई समझे,कोई चाहे,कोई इरादा करे
ख्वाहिशों के तले दब के ही गुज़र जाते हैं 


दुश्मनी,लूट,कत्ल और भी जाने क्या-क्या
तेरी चाहत में लोग नज़रों से भी गिर जाते हैं 


तुझे हराने के चक्कर में फ़कीर और साधू
जाने क्या -क्या लोग बन जाते हैं 


जिन्दगी तूं ही बता तेरी असलियत क्या है
हम तो बेपरवाह जिए जाते हैं 

poetpawan50@gmail.com

सम्पर्क- 7718080978


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