यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 29 जनवरी 2017

दुखों को बाँटने से ही तुम्हारा दुःख ये कम होगा .

दुखों को बाँटने से ही तुम्हारा दुःख ये कम होगा .
रखोगे बांधकर इसको यही दुःख जख्म कल होगा .

अगर तुम दोस्त हो मेरे तो ये दुःख बाँट दो मुझसे .
तुम्हारे होंठो पे बिखरा हुआ ये दर्द कम होगा .

ज़माना क्या कहता है कहने दो तुम मत उलझना .
राह बढ़ते चलो तुम तो बुलंदी पर घर होगा.

तुम्हे जो कोसते हैं कोसने दो ध्यान मत देना .
सफलता में देखना तुम ये सुर बदला हुआ होगा .

न सोंचो तुम कि क्या होगा बढ़ो आगे–बढ़ो आगे

बहुत होगा तो ये होगा मुकद्दर जो लिखा होगा 

poetpawan50@gmail.com

सम्पर्क-7718080978  

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