रविवार, 29 जनवरी 2017

दुखों को बाँटने से ही तुम्हारा दुःख ये कम होगा .

दुखों को बाँटने से ही तुम्हारा दुःख ये कम होगा .
रखोगे बांधकर इसको यही दुःख जख्म कल होगा .

अगर तुम दोस्त हो मेरे तो ये दुःख बाँट दो मुझसे .
तुम्हारे होंठो पे बिखरा हुआ ये दर्द कम होगा .

ज़माना क्या कहता है कहने दो तुम मत उलझना .
राह बढ़ते चलो तुम तो बुलंदी पर घर होगा.

तुम्हे जो कोसते हैं कोसने दो ध्यान मत देना .
सफलता में देखना तुम ये सुर बदला हुआ होगा .

न सोंचो तुम कि क्या होगा बढ़ो आगे–बढ़ो आगे

बहुत होगा तो ये होगा मुकद्दर जो लिखा होगा 

poetpawan50@gmail.com

सम्पर्क-7718080978  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें