यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

बुधवार, 25 जनवरी 2017

कुछ शेर ...मौका परस्ती भी क्या कमाल की चीज है

मौका परस्ती भी क्या कमाल की चीज है 
कल तलक जो था गद्दार आज उसी की पहनी कमीज है

बासी दाल भी जो माँग ले जाते थे कल तलक
वही कहते हैं आप की औकात क्या है   

जिन्हें दुलारा, पढ़ाया,सिखाया अदब 
वही कहते हैं अब हमको गँवारू लोग है साहब 

बड़े मक्कार,धोखेबाज और अय्यार देखे हैं 
मगर नेता के आगे सबको हम लाचार देखें हैं 

ज़माना कुछ कहे या ना कहे क्या फर्क पड़ता है 
पूस की रात में अक्सर कोई गरीब मरता है 

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