यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 17 सितंबर 2016

तूँ मुझे चाहे....

तूँ मुझे चाहे, मैं तुझे चाहूं .
तूं है मेरी सनम , इक दूजे के हम.

तुझपे मेरा, मुझपे तेरा यकीं.
फिर जग चाहे कुछ भी बोले ,
अपनी करेंगें हम,इक दूजे के हम .

न कुछ जमाने को दिखाना,न बताना.
अपने ही ढंग से जिन्दगी बिताना .
‘तुम’ ‘मैं’ मिलकर हम,इक दूजे के हम.

प्यार किया बस प्यार निभाना.
प्यार करते – करते दुनियां से गुजर जाना

प्यार है फिर क्या गम ?, इक दूजे के हम . 

पवन तिवारी     

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