यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शुक्रवार, 28 जून 2024

छूटना


 

 

गाँव छूटा

सपनों की ख़ातिर !

शहर बसा,

अपनों की ख़ातिर !

अपने छूटे,

पैसों की ख़ातिर !

फिर पैसा छूटा,

संबंधों ख़ातिर !

फिर सब छूटा,

जीवन के लिए !

फिर जीवन छूटा,

मृत्यु के लिए !

तो इस तरह

सब छूट गया !

अब सब खाली है ;

न सपने, न अपने

न पैसा, न संबंध

न जीवन, न मृत्यु !

 

पवन तिवारी

२८/०६/२०२४   

 

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