यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

रविवार, 3 दिसंबर 2023

खेलो कूदो करो पढ़ाई


 

जैसे पढ़ने  से  मन  बनता

खेल – कूद से है तन बनता

दोनों को अच्छे से किया तो

अच्छा सा  जीवन बनता है

 

करो पढ़ाई का तुम मान

खेल कूद का भी सम्मान

मैरीकाम,सचिन को देखो

होता उनका भी गुणगान

 

खेलों - कूदो करो पढ़ाई

जीतोगे हर  एक लड़ाई

खेलों को जो गौण बताते

उनसे दूर रहो तुम भाई

 

पवन तिवारी

०३/१२/२०२३ 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें