यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

शनिवार, 30 सितंबर 2023

पीड़ा में भी खड़े हैं



पीड़ा में  भी  खड़े हैं

साहस के बल अड़े हैं

एक हाथ कट गया है

एक  हाथ  से लड़े हैं

 

कुछ खा के यूँ पड़े हैं

ज्यों  पेड़ की जड़े हैं

विष  से  भरे हुए ये

सुवरण  से ये घड़े हैं

 

कहने को  जो बड़े हैं

कई उनके भी धड़े हैं

पिट्ठूगिरी  है  प्यारी

सच वाले  सड़ रहे हैं

 

प्रतिभा लड़ेगी  कब तक

अंतिम है साँस तब तक

कुछ मृत्यु कुछ विजय ले

आये  हैं  किंतु अब तक

 

पवन तिवारी

२०/०६/२०२३   

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