यह ब्लॉग अठन्नी वाले बाबूजी उपन्यास के लिए महाराष्ट्र हिन्दी अकादमी का बेहद कम उम्र में पुरस्कार पाने वाले युवा साहित्यकार,चिंतक,पत्रकार लेखक पवन तिवारी की पहली चर्चित पुस्तक "चवन्नी का मेला"के नाम से है.इसमें लिखे लेख,विचार,कहानी कविता, गीत ,गजल,नज्म व अन्य समस्त सामग्री लेखक की निजी सम्पत्ति है.लेखक की अनुमति के बिना इसका किसी भी प्रकार का उपयोग करना अपराध होगा...पवन तिवारी

सोमवार, 22 मई 2023

प्यार में हाय



प्यार में हाय तुम तो ए क्या कर गये

आग  पर  मीठे  से ए अधर धर गये

 

ज़िन्दगी जीना वो भी तुम्हारे बिना

लगता मुमकिन नहीं क्या गज़ब कर गये

 

हममें तुमको कोई एक सी चीज है

दोनों ज़िंदा  रहे  शेष सब मर गये

 

छोड़े इसको जो रस्ता नया मिल गया

बेवकूफों को लगता  कि हम डर गये

 

इनकी छोड़ो इन्हें  रात आधी से क्या

जितने घर वाले थे सबके सब घर गये

 

पवन तिवारी

संवाद – ७७१८०८०९७८

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें